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आज रेडियो पर वर्दीधारी के विषय में सुनकर सोचने को विवश हो गयी हूँ कि वास्तव में हम किसके कारण अपने को सुरक्षित अनुभव करते हैं. किसके त्याग के कारण श्वास ले पा रहे हैं . किसके कारण हमारा परिवार सुरक्षित है. हम निश्चिंत हो कर जीवनयापन कर रहे हैं. इसके पीछे आखिर है कौन?
तनिक विचार करें, किसके बल पर हम अपने धन को सुरक्षित रख पाते हैं. किसके कारण हमारा बच्चा निर्भय होकर विद्यालय जा पाता है. हमारी बेटियां महफूज है तो कैसे. कौन प्रहरी बन देश के नागरिक की सुरक्षा कर रहा है. किसके कारण हमारे पिता , भाई , पति और बेटा धन अर्जन कर रहे हैं. हमारा किशोर बेटा निःशंक हो कर महाविद्यालय में पढ़ पा रहा है. कौन है वह जिस के कारण हम अपने बच्चों की परवरिश कर पा रहे उनका विवाह कर पा रहे हैं . वह कौन है जिसके कारण डॉक्टर मरीज की देखभाल करता है , कौन है वह जिसके कारण उद्योग धंधे, कल -कारखाने सुरक्षित हैं. आखिर वह है कौन?
किसके कारण बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं , दुकानें , मॉल आदि बन रहे है और निर्भय हो कर धन राशि खर्च किया जा रहा है. वह है कौन. बैंक में हमारा वर्षों से कठिन परिश्रम से अर्जित किया धन सुरक्षित रह रहा है. किसके कारण? जल, थल और नभ सभी सुरक्षित है, धरा हमारी महफूज़ है वह कौन है. कृषक कठिन परिश्रम से उपार्जित धन-धान्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चला रहा है, वैज्ञानिक नए-नए अनुसन्धान कर रहे हैं, उनकी प्रयोगशालाएं सुरक्षित हैं , अन्य देश के लोग लूट नहीं पा रहे हैं , जरा सोचिये वह है कौन? वह कौन है जो आतंकवादी से सुरक्षित रख रहा है देश को , अपनी जान की परवाह किये बिना , पहले अपनी जान गवां देते हैं देश हितार्थ , न अपना न परिवार की परवाह करता वह है कौन?
वह कोई और नहीं वरन आपका ही बेटा, पिता, भाई और बहन जो वर्दीधारी बन गए है और प्रतिपल अपने परिश्रम से हम सब की रक्षा कर रहा है. हमारे लिए वह अपना जीवन होम कर देता है. न अपनी सुध करता है न अपने परिवार की. क्या उनके आत्मीय नहीं हैं? , क्या वह किसी का बेटा नहीं है, किसी का भाई नहीं है, क्या उसकी बहन राखी के त्यौहार पर अपने वीर भाइयों की उपस्थिति को अनुभव नहीं करती होगी? उस भाई को दर्द नहीं होता होगा ? उस वर्दीधारी की पत्नी या पति नहीं होगी, क्या वे एक दूसरे की सानिध्य के आकांक्षा नहीं रखते होंगे?क्या उनके बच्चे नहीं तड़पते होंगे समीपता के लिए? क्या उन वर्दीधारी को यह अनुभव नहीं होता होगा की वे भी अन्य नागरिक की तरह अपने बच्चों की तोतली बातें सुनें, उनकी किलकारियां सुनें , उनके स्कूल का होमवर्क करवाएं , पेरेंट्स डे पर विद्यालय जाएँ , उनके साथ समय व्यतीत करें . लेकिन नहीं , इन सब बातों को मन में रख कर देश की रक्षा करते हैं, क्योंकि उनके लिए तो सारा देश ही उनका परिवार है.न दिन की परवाह करते हैं न रात की . अहर्निश कर्तव्य निभाते रहते हैं.
और हम क्या करते हैं ? उनकी त्याग की तपस्या की सराहना तक करने में कंजूसी करते हैं. सारा श्रेय राजनेताओं को दे देते हैं. असली हीरो को भूल जाते हैं. उन हीरो के परिवार तक को भूल जाते हैं जिनके महान त्याग के कारण किसी का लाल , किसी का भाई, किसीका पति,किसीका पिता हमारी रक्षा कर रहे हैं.
उन परिवार के लोगों के विषय में सोचें जो तीज-त्यौहार या अन्य किसी समारोह में अपने निकटतम को न देख कर कितने व्यथित होते होंगे. सीमा पर उन भाई-बहनों के विषय में विचार करें कि वे कितनी कठिन परिस्थिति में रह कर हमारे जीवन को सरल , सुगम बनाने में लगे रहते हैं. न उन्हें कंप-कंपाती ठण्ड की परवाह है न चिलचिलाती धूप की गर्मियों की. बस एक लक्ष्य है देश की सम्मान की, इज़्ज़त की और सुरक्षा की.
कहीं धरना हो, दंगा हो,मॉल हो,स्कूल हो कालेज हो,कल कारखाने हो ,गली नुक्कड़ हो या चौराहे हो या बॉर्डर हो , हर स्थान पर ये वर्दीधारी अविचल भाव से सदा कर्तव्य निभाते दृष्टिगत होते हैं.
अपने उन सभी वर्दीधारी को नमन ! उनके परिवारवालों को नमन तथा उन सबको जिन्होंने आज तक हमारे लिए , हमारे देश के लिए अपनी क़ुर्बानी दी है ,उन सभी कर्त्तव्यनिष्ठ जांबाज देश के सपूतों को नमन !
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