Menu
blogid : 6094 postid : 1308876

न पिएंगे न पीने देंगे

My View
My View
  • 227 Posts
  • 398 Comments

बिहार का ‘मानव श्रृंखला’ का शराबबंदी के समर्थन में एकत्रित होकर साथ देना संसार को सन्देश दिया है कि संपूर्ण धरा को नशामुक्त होना चाहिए .संगठन का अप्रतिम उदहारण प्रस्तुत किया है .सभी जाति सभी धर्म के मानव ने संसार को यह सन्देश दिया है कि हम सब एक हैं ,सभी बिहारवासी एक ही मनके के माला हैं ,अनेकता में एकता का ऐसा सच्चा उदारहण अन्यत्र दुर्लभ है ,यह सन्देश भी सम्पूर्ण दुनिया को जाता है कि अगर मानव यह सोच ले कि न पीयूँगा न पीने दूंगा , इस बात को मूलमंत्र बना लेगा तो मदिरापन सदृश अनेक कुरीतियों से मुक्त हो सकता है .
महात्मा गाँधी ने ‘यंग इंडिया’ में लिखा था कि अगर मैं केवल एक घंटे के लिए भारत का सर्वशक्तिमान शासक बना दिया जाऊं तो पहला काम यह करूँगा की शराब की सभी दुकानें बिना कोई मुआवजा दिए तुरंत बंद करा दूंगा . ‘शराबबंदी’ के विरोधी मूलतः पूंजीपति ,भ्रष्ट नौकरशाह ,भ्रष्ट राजनीतिज्ञ और पश्चिमी सभ्यता के अनुकरणकर्ता है . आजकल गाँधी जी के तथाकथित भक्त लोग अधिकतर इन्हीं समूह के लोग हैं अतः उनके इन विचारों या आकाँक्षाओं को लोगों ने भुलाने की राह को चुना . परंतु कोई तो है जो इसको भी याद रखा और अपने स्वार्थ को दूर रखते हुए देश के कुछ भागों में शराबबंदी लागु कर दी . इसी सिलसिला में जनहित को ध्यान में रखते हुए बिहार में भी यह लागू किया गया . जनसमर्थन इतना था कि मानव श्रंखला ने एक रिकॉर्ड बना दिया .
आज के आधुनिक युग में ,आर्थिक उदारीकरण और खुलेपन के समय ,शराबबंदी को पूरे देश में लागु करने की बात राजनीतिक दृष्टि से भले ही दकियानूसी लगे , मगर हिंदुस्तान की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक अस्तित्व को कायम रखने हेतु पुरे देश में शराबबंदी आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है.
इस दिशा में नीतीशजी का कदम सराहनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है. इस पहल को लागु करने में उन्हें बहुत लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा. कुछ लोगों का कहना था कि यह सम्भव ही नहीं है. कुछ लोगों का कहना था कि यह लोगों के अधिकार का हनन है . पर सभी को झूठलाते हुए उन्होंने 21 जनवरी को जब करोड़ों लोगों के उत्साहमय मानव श्रृंखला का आयोजन किया तो यह स्वाभाविक ही सावित हो गया की इस शराबबंदी को बिहार के जनसाधारण का कितना समर्थन है. समर्थक तो समर्थन कर ही रहे हैं वे तो प्रशंसा कर ही रहे हैं पर विरोधी भी उनके इस कदम का प्रशंसा कर रहे हैं. यहाँ तक कि देश के प्रधान मंत्री ने भी इस का पुरजोर समर्थन किया है.
मानव श्रृंखला की अभूतपूर्व सफलता इस बात का परिचायक है कि बिहार कि जनता शराब बंदी और नाश मुक्ति के पक्षधर . हैं .२०१६ में लागू किया गया शराब बंदी कानून का अपार समर्थन मिला .बिहार की जनसंख्या लगभग १२ करोड़ है .करीब ३ करोड़ लोगों ने भाग लिया .तात्पर्य यह कि एक चौथाई लोग पूरी उत्साह से सम्मिलित हुए .इससे पूर्व बांग्लादेश और नेपाल के मधेशी समुदाय ने यह श्रृंखला बनायीं थी .सबसे उल्लेखनीय यह बात है कि नेपाल की मानव श्रृंखला विरोध प्रदर्शन में था लेकिन बिहार का समर्थन में, जिससे नशा जैसे विष से मुक्त होने का था .नीतीशजी के इस कदम ने ऐसा उदहारण रखा जो अन्य राज्य जो अब तक राजस्व नुकसान के भय से शराबबंदी नहीं करते वे भी इस सफलता से सीख लेकर इस दिशा में कदम बढ़ाएंगे .गाँधी मैदान में मानव श्रंखला के द्वारा अखंड भारत का नक्शा बनाकर संभवतः यह सन्देश देने की चेष्टा की है कि शराबबंदी भविष्य में सम्पूर्ण देश में लागू हो. बिहार ने इससे सामाजिक भेदभाव को दूर करने का एक सराहनीय कदम उठाकर एक मिशाल कायम किया है. सभी धर्मों का समर्थन यह मानव श्रंखला अभियान ने यह प्रमाणित कर दिया – हर वर्ग , हर धर्म एक है.
शराब में पैसे बर्बाद नहीं होने के कारण आज बिहार में हर गरीब रोटी खा रहे हैं और महिलाएं पुरुषों के अत्याचार से भी मुक्त हो रही हैं. धीरे -धीरे बिहार गरीब-मुक्त हो रहा है. शराब पी कर गाड़ी चलाने से होनेवाली दुर्घटनाओं से भी बिहार मुक्त हो रहा है. गली-नुक्कड़ों पर शराबियों द्वारा किया जानेवाला हंगामा, गाली-गलौज अदि से निजात मिली है बिहार के लोगों को.
गांव से कस्बे तक इतिहास रच दिया बिहार ने. एकजूटता का प्रदर्शन कर बिहार ने प्रमाणित कर दिया कि उसके जैसा कोई नहीं. यह एक ऐसा राज्य है जहाँ महिलाएं शराबबंदी के कारण अत्यंत प्रसन्न हैं. बच्चे, बूढ़े सब को अपनों का प्यार मिल प् रहा है . शराब में धुत्त रहने के कारण यह प्यार पहले उन्हें नसीब नहीं था.
मैं पुनः इस कार्य के लिए नीतीश जी को बधाई देती हूँ. उन्होंने समस्त बिहार के लिए यह कदम उठाकर बिहारियों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है.

Read Comments

    Post a comment