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भ्रूण हत्या एक अभिशाप

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Bhrun hatyaजीवन बचाने वाली आधुनिक प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग कर जो चिकित्सक भ्रूण हत्या में संग्लग्न हैं वे यह भी भूल जातें हैं कि उनकी उत्पत्ति भी किसी महिला से सम्बद्ध है. वे मुख्य हत्यारा हैं. आश्चर्य है कि जिनको जीवन रक्षक माना जाता है वे ही हत्यारा बन जाते हैं ! चिकित्सक अपने धर्म से च्युत हो जाते हैं, मात्र अर्थोपार्जन के लिप्सा से वे इस तरह का घिनौना हरकत करते हैं.
भ्रूण हत्या का सिलसिला वर्षों से चल रहा है . यह प्रचलन बहुत पुरानी है. यथा पुराने समय में करीब ४० साल से पहले यह काम तथाकथित धाय माँ या दाई करती थीं. वे तो अनपढ़ होती थीं और उन्हें नैतिक या अनैतिक का खास ज्ञान नहीं होता था. वे तो अपने मालिक का काम पूरा करती थीं बस चंद सिक्के के लिए. पर पिछले ४० वर्षों से यह पढ़े-लिखे डॉक्टरों का व्यापार बन गया है. अंतर यह भी था कि पहले भ्रूण के लिंग का पता नहीं होता था तो लड़का या लड़की किसकी हत्या की जा रही थी, ये बिना जाने ही हत्या होता था. कभी -कभी तो लड़की के पैदा होते ही उसे नमक चटा दिया जाता था , यह नमक जहर सदृश कार्य करता था और नवजात बच्ची की मृत्यु हो जाती थी. कभी-कभी उन बच्चों से भी जीने का हक़ छीन लिया जाता था जो अपने भाई बहन के अंतर में कमी होते हुए पृथ्वी पर दुर्भाग्यवश टपक जाते थे.
पर विज्ञानं के दुरूपयोग के कारण अब तो भ्रूण के लिंग की पहचान कर लड़कियों के भ्रूण को कोख में ही फांसी दे दी जाती है. परिवारीजन बलात महिलाओं को भ्रूण हत्या करने पर विवश करते रहते हैं. कुछ नृशंस माँ स्वयं भी अपने अंश की हत्या करने में संकोच नहीं करती. सबसे अवैध कार्य तो आजकल लिव इन रिलेशन के कारण पनप रहा है. कुछ कुसंगति में पड़कर भी इस घृणित कार्य को अंजाम दे देती हैं. कुछ महिलाएं अनचाहे गर्भ को ही नष्ट कर देती है. कुछ तो मज़बूरी वश किसी के हवस का शिकार होने के कारण या बलात्कार की शिकार होने से भी इस घृणित कार्य करने पर विवश होती हैं. यह एक अभिशाप है जो दीमक की तरह समाज को चाट रहा है.
कुछ अपने को आधुनिक बताने के शौक के कारण भी अनचाहे गर्भ गर्भ को नष्ट कर देती हैं. जो भी कारण हो आश्चर्य की बात तो यह है कि कोई भी परिवार वाले अपने ही कुल के अंश को कैसे हत्या करवा देते हैं? उस निरीह माँ की दयनीय दशा को भी नहीं देखते होंगे या वह कैसा निर्दयी पिता होगा जो अपने ही अंश की हत्या करवा देता है. उस माँ पर तरस आता है , कितनी असहाय होगी जिसे अपने ही कोख को उजाड़ना होता होगा?
अचम्भे की बात तो उस नृशंस महिला के लिए होता जो स्वयं बेटे की लालसा में अपने ही रक्त से सिंचित भ्रूण को ख़त्म कर लेती है. ऐसी महिला माँ कहलाने योग्य कैसे हो सकती है. लिव इन रिलेशन से हो या मौज मस्ती से या आधुनिकता के भूत के कारण ,जो भी माँ यह जघन्य अपराध करती है ऐसी नारी को कभी भी क्षमा नहीं करना चाहिए.
इस घृणित कार्य को अंजाम देनेवाले उन डॉक्टरों के नृशंसता का क्या कहना !! मात्र कुछ पैसे के लिए इतना बड़ा कुकृत्य ! किसी अजन्मे कि हत्या !! डॉक्टर हो या नर्स , इन सबकी उपाधि को रद्द कर दिया जाना चाहिए. इस भ्रूण हत्या के पीछे जिसका हाथ हो उन सबको वही दण्ड देना चाहिए जो मानव के हत्यारे को दिया जाता है.
कितनी कारुणिक बात है कि जन्म से पूर्व ही हत्या कर डालते हैं वह भी कोई चंद पैसे केलिए तो कोई बस पुत्र लालसा के कारण .
उन सभी अल्ट्रासाउंड के केंद्रों को बंद कर देना चाहिए जहाँ लिंग भेद की जाँच होती हो. ऐसी सख्त व्यवस्था होनी चाहिए कि जो भी लिंग भेद के अकारण परीक्षण करवाने जाये उसे पुलिस के हवाले करना चाहिए.
यदि भ्रूण हत्या पर सरकार के साथ हम सभी ध्यान दें तो अनेक समस्याओं का समाधान स्वतः हो जायेगा. बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ केवल नारों में न रहकर हकीकत में सफल मन्त्र बन जायेगा.

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