Menu
blogid : 6094 postid : 1147949

जागरित कर गए

My View
My View
  • 227 Posts
  • 398 Comments

विश्व सांस्कृतिक समारोह सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ .इस अनुपम महोत्सव ने सम्पूर्ण धरा पर परचम लहरा दिया है .अनेक गणमान्य सहभगियों की उपस्थिति ने इस समारोह में चार चाँद लगा दिए .दिल्ली में यमुना किनारे इस महोत्सव का आयोजन किया गया .
इस नदी की अत्यन्त दारुण स्थिति है .इतनी पावन नदी को जो कृष्ण स्थली है .,पर्यावरण विद मृत सदृश घोषित कर चुके हैं .कभी जहाँ भगवान श्रीकृष्ण बांसुरी बजाकर मानव को मंत्रमुग्ध करते थे ,गोपियाँ तो बहाना थीं जिसके पीछे तो सन्देश था मानव को मृदु स्वाभाव के बनाने का और एकता के सूत्र में बांधकर धरातल को मनोरम बनाने का .
कल कल करती यमुना को कलिया नाग से विमुक्त कर कृष्ण ने जिस नदी को नवजीवन दिया था ,तृषित मानव की प्यास बुझायी थी उस अमृत सदृश नदी को मृत प्राय देखकर मन द्रवित हो जाता है .ये राजनेता तो मात्र भाषण देते रहते हैं ,मथुरा से जब हेमामालिनी चयनित हुयी थीं तो आस जगी थी लेकिन ढाक के तीन पात वाली बात हुयी. पता नहीं उन्हें कैसे नहीं दीखता इस नदी की करुण व्यथा .
IMG_4446यमुना में स्नान करने की बात तो दूर वहां पांच से दस मिनट खड़े नहीं हो सकते. कुछ दिन पहले मुझे वृंदावन जाने क अवसर मिला था . वहां की दुर्दशा देखकर रोना आ गया, किस भरोसे से जनता चयन करके नेता को भेजते हैं कि ये नेता इस दशा को सुधारेंगे , हमरी नदियों को स्वच्छ , पवित्र करेंगे लेकिन नहीं भाषण तो इतनी प्रभावशाली देते हैं कि उस समय ऐसा प्रतीत होता है कि ये हरेक समस्या का समाधान करेंगे. लेकिन करनी कुछ नहीं. कथनी-करनी में भेद रहता है. पांच साल बाद बातों में व्यतीत करने के बाद पुनः वोट मांगने के पहले उन्हें स्मरण होता है देश की समस्याओं पर.
इतनी गम्भीर समस्या है नदियों की लेकिन कुछ भी कार्य नहीं करते. वृंदावन इतना महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है लेकिन कुछ भी कार्य यहाँ नहीं होता . यत्र-तत्र गलियों में गन्दगी , कूड़े का ढेर . राष्ट्रपति भी गए थे , पता नहीं कैसे उनकी दृष्टि नहीं पड़ी, न किसी राजनेताओं को दीखता है. हम आम जनता की नजर पड़ती है लेकिन इन लोगों को नहीं दिखता ,या देखना ही नहीं चाहते. एक कारण यह भी है कि जब कभी वी .आई.पी . लोग जहाँ से गुजरने वाले होते हैं उन जगहों को अस्थायी रूप से ऐसा बना दिया जाता है कि वी .आई.पी . लोग उन को नहीं देख पाते हैं , उनके आँखों में महकमे धूल झोंकते हैं.
धर्मगुरु की पहल अवश्य आश जगा दी है. हम सब को उनका साथ देना चाहिए, और भी धर्मगुरुओं को उनका साथ देना चाहिए. मात्र काळा धन पर ही ध्यान न देकर नदियों कि स्वछता एवं रख-रखाव पर भी ध्यान देना आवश्यक है. श्रीश्री रविशंकर पहले से ही यमुना सफाई का कार्य करते आ रहे हैं. दक्षिण भारत की कुछ नदियों को कार सेवा के माध्यम से स्वच्छ करने का कार्य कर चुके हैं. विश्वास है की धर्मगुरु निश्चितरूपेण राज्य सरकारों पर दबाव बनाएंगे जिससे मानव द्वारा विसर्जित गंदे जल को नदियों में गिरने से बचाएंगे.
प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज नदियों को पवित्र एवं धार्मिक मानते रहे हैं. गंगा -युमना के जल की तो हर शुभ या अशुभ कार्यों में प्रयुक्त किया जाता रहा है. इस दृष्टि से भी वे सब इसकी पवित्रता एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते थे.
अंग्रेजों की देन है यह. वे लोग भी नाले का पानी इन पवित्र नदियों में छोड़ने लगे थे. IMG_4447तब से यह प्रचलन आरम्भ हो गया. वे तो चले गए लेकिन उनकी कुछ आदतों को हम आज भी अपनाए हुए हैं. हम उनकी कुछ कुरीतियां आत्मसात कर लिए हैं.
आइये हम सब मिलकर उनका साथ दें और यमुना ही नहीं देश की सारी नदियों को स्वच्छ बनाने का संकल्प लें. जल है तो जीवन है. जल की महत्ता हम सभी जानते हैं और सुद्ध जल के बिना हमारा जीवन जीते जी भी मृतप्राय है.

Read Comments

    Post a comment