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ख्वाब बन कर आए तुम!
चकित हूं,भ्रमि हूं तेरे संग
सूना हूं,अधूरा हूँ,तन्हा हूं तेरे बिन.
न श्रवण है, न
स्वर है
फिर भी ढूढती रहती हूँ
व्यथित हूँ,विवश हूँ,
प्यासी हूँ,भटकी हूँ
ख्वाब पूरे नहींहोते
पर,आश के डोर से बंधी हूँ.ख्वाब तो ख्वाब होता है
मात्र एक एहसास होता है
पर किस्मत का साथ हो तो
विस्मित रहूं,विचलित न रहूं
प्रतीक्षा करती रहूं
ख्वाब मे ही नहीं
धरा पर भी
जीवित रहूं.
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