Menu
blogid : 6094 postid : 1093405

मलाणा तेरी कहानी

My View
My View
  • 227 Posts
  • 398 Comments

सौजन्य : पीयूष , इंडिया टुडे ग्रुप के इंटर्न.
इस धरा का विशिष्ट गाँव जिसके चारों और अनुपम प्राकृतिक छटा विराजमान है,
हरीतिमा से आच्छादित रहती हो तुम ,
तुम्हें सभी मलाणा कहते हैं .
चहुँ ओऱ पहाड़ों से घिरी, लगता है जैसे तेरी रक्षा के लिए पहाड़ों की वृत्तनुमा दीवार किसी अनजान अनदेखी या स्वयं प्रकृति के शिल्पी द्वारा रचित कोई उत्तम कलाकृति हो तुम. प्रकृतिप्रदत्त नदी इस तरह तुम्हारे साथ साथ बहती है जैसे समय काल चक्र और अनवरत चलायमान रहने वाली तुम्हारी दिन – रात, अँधेरा -उजाला , जल- थल बस यही कह रहा हो को तुम मलाणा हो और तुम सबसे नायब अपने आप में एक अलग परिचय देनेवाला अनवरत अपनी संस्कृति, रीति -रिवाज़, संस्कार एवं अपने पहचान को अक्षुण्ण रखने वाला उत्तम स्थल मलाणा हो.
कुल्लू अपने आप में सौंदर्य की प्रतिमूर्ति है और तुम यहाँ समुद्रतल से ८६४० फीट की ऊंचाई पर हो. तेरा क्या कहना तुम अनुपम,अद्वितीय सर्वश्रेष्ठ तो हो ही अनमोल सांस्कृतिक खानों को संजोये अपनी अलग पहचान को प्रतिष्ठित रखी हो. तुम ही ऐसी वीरांगना हो जिसे फिरंगियों ने हाथ लगाने की हिमाकत नहीं की .गुलामी की जंजीरों से जकड़ नहीं सका. तुम ही ऐसी सच्ची देश भक्त हो जिसके लिए हमारे युगपुरुष को संघर्ष नहीं करनी पड़ी, क्रांति नहीं लानी पड़ी क्योंकि तुम सदा स्वतंत्र थे और रहोगे, अति सौभाग्यशालिनी हो तुम जिसके लिए राष्ट्र पिता को लाठी नहीं टेकनी पड़ी ,कुछ तो राहत मिली होगी उन महा मानव को .महान योद्धा अकबर भी तुम्हे परास्त नहीं कर सका . उसके जैसे सम्राट को भी तुम्हारे देवता जमलू से क्षमा मांगनी पड़ी . तुम विश्व विजयी सिकंदर की वंशज हो ,सिकंदर के सैनिकों के कारण आज तुम आबाद हो .तुम्हें कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है ,तुम्हारे देवता जमलू के मंदिर के बहार लकड़ी के दीवारों पर की हुई नक्काशी में युद्ध करते सैनिकों को एक विशेष प्रकार के परिधान के साथ हथियारों को साथ दिखाया जाना तुम्हारे सत्यता की पहचान है ,प्रमाण है तुम इस धरा की धरोहर हो .सिंधु घाटी की सभ्यता की द्योतक हो ,आर्य हो . अति विशिष्ट कुल की हो .हिमाचल में स्थित होने के पश्चात् भी तुम्हारी भाषा अलग है .ग्रीक भाषा से मिलती है. तुम्हारी आकृति भी उनलोगों से मिलती है . तुम भारत की अंग हो . भारतीयता कूट कूट कर भरी है . तुम भारतीय हो . लेकिन तुम्हारा कानून अलग है ,न्याय प्रणाली पृथक है ,अनोखी प्रथा है तुम्हारी .यदि किसी को फैसला उचित नहीं लगता तो देवता न्याय करते हैं. अर्थात जमलू देवता को सौंप दिया जाता है निर्णय के लिए .निर्णय की विधि भी अनोखी होती है.सबसे अलग अप्रतिम . तुम्हारे यहाँ सबसे अलग न्याय एवं कार्य पालिका है द्वि-स्तरीय सदन एवं न्याय पालिका है जहाँ भारतीय कानून नहीं चलता . अगर संसद किसी विवाद का समाधान नहीं कर पाता तो स्थानीय देवता जमलू को सुपुर्द कर दिया जाता है निर्णय के लिए .उस निर्णय की विधि भी सबसे असाधारण होती है. दोनों पक्षों को एक एक बकरा दे दिया जाता है .दोनों के बकरे की टांग को चीरकर उसमें निर्धारित विष भर दिया जाता है ,जहर फैलने से जिसके बकरे की मौत पहले हो जाती है उसे दण्डित किया जाता है अभियुक्त मानकर .यदि किसी को निर्णय स्वीकार नहीं होता,और वह चुनौती देता है तो उसे समाज से निकाल दिया जाता है . जहर भरने तथा चीरने का कार्य चार मानव मिलकर करते हैं ,जिसे कठियाला कहा जाता हैं .तुम्हारे यहाँ फागली उत्सव धूम धाम से मनाया जाता है. जमदग्नि ऋषि के सेवार्थ १२ गाँव के लोग उपस्थित रहते हैं ,५दिवस तक ,ऋषि तथा उनकी पत्नी रेणुका के दरवार में महिलायें नृत्य करती हैं .तुम सदा अनेक विविधताओं को अपने अंदर समेटे हुए एकता का सन्देश देती प्रतीत होती हो .तुम्हारे यहाँ चरस की फसल होती है ,काला सोना के नाम से भी जाना जाता है .तुम कठिन परिस्थिति में भी आनन्दित रहती हो ,मस्त रहती हो .तुम्हारे यहाँ बिजली नहीं है ,फिर भी कोई मलाल नहीं ,अधिकांश लोग दूर दर्शन क्या होती है ? यह ज्ञात नहीं ,फिर भी तुम संतुष्ट रहा करती हो ,मुझे लगता है संतोषी माँ का उपवास तुम्हारे ही यहाँ से आरम्भ हुई होगी क्योंकि हर हाल में तुम संतुष्ट रहती हो .ऐसी बात नहीं कि तुम्हें अनुभव नहीं की तुम उपेक्षिता हो ,सरकार तुम्हें विस्मृत कर चुकी है .साधन का अभाव है ,तुम व्यथित हो लेकिन किसी को ज्ञात नहीं होने देती .विद्यालय तो है लेकिन योग्य शिक्षक का आभाव है .योग्य शिक्षक ही नहीं रहेगा तो बच्चों का विकास कैसे होगा ?बच्चों का अंधकारमय भविष्य देखकर तुम्हें चुपके से रोते देखा है ,नौनिहालों को विवशतावश चरस बेचते देखकर उद्विग्न होते देखा है ,फिर भी अदम्य उत्साह है तुम्हारे अन्दर ,उम्मीद से परिपूर्ण हो कि कोई तो समाज सुधारक आएगा . दिल्ली से आये नवयुवक पीयूष तथा मोहित को देखकर तुम्हारी प्रसन्नता किसी से छुपी नहीं है . उनदोनों की बातों ने अदम्य उत्साह जगाया है . आशा का संचार तुम्हारे भीतर पुनः अलख जगाकर यह की तुम मलाणा हो . तीन महीने बर्फ़ से आच्छादित रहती हो तुम्हें समाज के साथ कठिनता का सामना करना पड़ता है ,जीविकोपार्जन में भी अत्यन्त कठिनाई होती है फिर भी सदा आनन्दित रहती हो क्योंकि तुम लालची नहीं परम संतुष्ट मलाणा हो .तुम ही ऐसी हो जहाँ अभी भी ब्राह्मणों ठाकुरों का सम्मान होता है .तुम आर्य हो ,आयु का प्रभाव तुम्हारे यहाँ नहीं पड़ता ,७० साल के बुजुर्ग भी अत्यन्त उत्साह से कार्य करते हैं ,तरोताजा अनुभव करते हैं ,बूटी एकत्र करके जीविकोपार्जन करते हैं .तुम्हारे समीप संपूर्ण संसार के सैलानी आते हैं कुछ धूनी रमाने तो कुछ सांसारिक प्रपंचों से उकता कर .तुम सबको सुरक्षा देती हो सबका ध्यान रखती हो . “अतिथि देवो भव” का सत्य में पालन करती हो
तुम प्रकृति के अनमोल खजानों की स्वामिनी मस्तमौला मलाणा हो .इस धरा की अनमोल धरोहर हो .हम सबको तुम्हारे ऊपर नाज़ हैं ,गर्व है .वास्तव में इस धरा की नायाब उपहार हो .
-डा. रजनी

Read Comments

    Post a comment