Menu
blogid : 6094 postid : 904821

कुदृष्टि समेट लो – सावधान !

My View
My View
  • 227 Posts
  • 398 Comments

हम शांतिप्रिय हैं. हमने सदैव अपनी सहनशीलता को कायम रखा है. हमने संघर्ष भी शांतिपूर्वक किया और तत्कालीन अति शक्तिशाली ब्रिटिश हुकूमत को शांति और अहिंसा के हथियार से खदेड़ा .
कुदृष्टि रखनेवालों को समय समय पर दण्डित भी हमने किया है. जब अति हो गया तो हमने ‘पर’ कतरने में न देर की न कोताही. उनके आकार को भी छोटा किया और निःस्वार्थ हो कर उस आकार को अपनी आकार बढ़ाने से दूर रहे. हमारा पुराण और इतिहास ऐसा ही है. श्रीराम चन्द्रजी ने भी निःस्वार्थ भाव से बाली जैसे उग्रवादी के हाथ से सत्ता छीन कर सुग्रीव जैसे सात्विक को सत्ता दे दिया था. रावण जैसे आतंकी से लंका छीन कर विभीषण को हस्तांतरित कर दिया था. उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हमने भी विस्तारवादी नीतियों को नकारते हुए उचित हक़दार को सत्ता सौंपा था.

तो, सभी कुदृष्टि रखने वालों को हम आगाह करना चाहते हैं कि म्यांमार में जो हमारे वीर सेनाओं ने आतंकियों के ऊपर कार्यवाही की यह एक झांकी मात्र है.
सबसे पहले हम इन वीर सैनिकों , भारत माता के सपूतों और सम्पूर्ण देशवासियों के लाडलों को प्रणाम,सलाम करते हुए अभिनन्दन करते है.
म्यांमार में हमारी सेना ने दिखा दिया कि भारतमें आतंक फ़ैलाने वालों की क्या स्थिति होती है , कितना महंगा पड़ता है.
भारत के संस्कार उसके सहयोग की भावना तथा क्षमाशीलता को जो लोग कमजोर मानने की भूल कर बैठते है वे यह भी भूल जाते हैं कि जो अंग्रेजो को भगा सकते है , और कुदृष्टि रखने वालों को धूल चटा सकते हैं तो ये लल्लू-पंजू की क्या विसात !
प्राचीन काल से ही भारत में सम्पूर्ण विश्व को बन्धु मानने की परंपरा है. लेकिन बन्धु अपनी अयोग्यता से बन्धुत्व छोड़ कर दुश्मनी करने की सोचे तो हम उचित जवाब देना जानते है.
पाकिस्तान का यह कहना कि “हमें ‘म्यांमार ‘ न समझे – यह कथन केवल यह नहीं दर्शाता कि उनके मन में चोर है, बल्कि साबित करता है कि वे आतंकियों को पनाह दे रहे है. म्यांमार ने तो सहयोग दिया और आतंकियों को हमने ध्वस्त किया. लेकिन पाकिस्तान तो आतंक को बढ़ावा देना चाहता है. खैर , हम भी पाकिस्तान को ‘म्यांमार’ नहीं समझते है और उन्हें बांग्लादेश वाली युद्ध तथा कारगिल की युद्ध को केवल स्मरण करने की सलाह देते है. समय आने पर तथा हमारे धैर्य टूटने पर हम उनकी वह हालत कर सकते है जैसे की बांग्लादेश वाली युद्ध के समय बस एक अंग धर से काट कर अलग किया था . पर अब की बार पूरा सर ही धर से अलग कर देने की कूबत है.

आतंकियों को पनाह देकर अपने को सशक्त माननेवालों जरा समझ लें कि भारत के पास ईमानदारी,समझदारी, और सत्यता जैसे हथियार है. दुनिया भर में ऐसी हथियार और किसी के पास इतनी अधिक मात्रा में नहीं है. भारत के पास तपोबल एवं योगबल की भी प्रचुरता है और यह समस्त संसार को ज्ञात है. अतः संभल जाओ कुदृष्टि रखने वाले , पंगा न लो, और बाज आओ अपने कुकृत्यों से. अब भारतीय जग गए है. नहीं छोड़ेंगे , जिस तरह सामना करना पड़ेगा हम सामना करेंगे.
विरोधियों इस धारणा को मन-मस्तिष्क में भर लो कि ‘खून का बदला खून’ से लिया जायेगा. अपने सपूतों का , शहीदों का गिन-गिन कर बदला ही नहीं लिया जायेगा वरन आगे केलए सबक भी सिखाया जायेगा.
अतः करबद्ध प्रार्थना है कि हमें हमारे ‘शांतिप्रिय संस्कार ‘ में संयम से रहने दो, परीक्षा मत लो नहीं तो मुंह की खानी पड़ेगी,लोहे के चने चबाने पड़ेंगे.
‘नरेंद्र’ है केंद्र में
संग है सब संगी
सवा सौ करोड़ है जंगी(जंग लड़ने वाला जनता) ,
सावधान राक्षसों, धूल चटा देंगे
अस्तित्व मिटा देंगे
आँख उठाया तो फोड़ देंगे
सर उठाया तो कलम कर देंगे.
आक्रमण करते नहीं
आक्रमणकारियों को बकस्ते नहीं.
५६ इंच के सीने है
सवा सौ करोड़ से गुणे है.

अतः सभी से निवेदन है , हमने मित्रता का हाथ बढ़ाया है , जीयो, और हमें भी जीने दो.

Read Comments

    Post a comment