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My View
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किससे पुछूँ कौन हूँ मैं
कौन बताएगा कि मैं कौन हूँ
स्वयं में स्वयं को ढूंढती रही
ढूंढ न पायी कि मैं कौन हूँ
तब
माँ से पूछा कौन हूँ मैं
माँ ने कहा – बेटी
पिता से पूछा कौन हूँ मैं
पिता ने कहा -लाडली
दादा से पूछा कौन हूँ मैं
उन्होंने ने कहा – पोती
दादी से पूछा कौन हूँ मैं
उन्होंने भी कहा पोती
नाना से पूछा कौन हूँ मैं
उन्होंने कहा – दौहित्री
नानी से पूछा कौन हूँ मैं
कहा- नातिन
काका-काकी से पूछा कौन हूँ मैं
कहा- भतीजी
मामा -मामी से पूछा कौन हूँ मैं
कहा -भांजी
बहन-भाई से पूछा कौन हूँ मैं
कहा – दीदी
इस स्नेह धारा में कब बड़ी हो गयी
फिर भी कौंधता रहा
यह प्रश्न
कौन हूँ मैं
पति से पूछा कौन हूँ मैं
कहा- जीवन संगिनी
सास से पूछा कौन हूँ मैं
कहा-बहू
श्वसुर से पूछा कौन हूँ मैं
कहा-पुत्रवधू कुल की मर्यादा
मित्रों से पूछा कौन हूँ मैं
कहा -सहेली
अन्त में बेटे से पूछा कौन हूँ मैं
कहा- माँ
आखिर टुकड़ों में बंटी हूँ मैं
क्या अस्तित्व है मेरा
थोड़ी बेटी
थोड़ी पोती
थोड़ी बहन हूँ
थोड़ी भाभी
थोड़ी ननद हूँ मैं
थोड़ी सहेली
सभी टुकड़ों को एकत्र की
तो आड़े- तिरछे चित्र बन गए
सालों साल व्यतीत हो गए
टुकड़ों को आगे पीछे
ऊपर नीचे
अदला बदली करती रही
पर वह चित्र न बन पाया
जो यह बताये
कि कौन हूँ मैं
कोई मुझे मेरा अस्तित्व बता दे
छोटी उलझन सुलझा दे
मुझे मुझसे मिलवा दे
कि आखिर ! मैं हूँ कौन
मैं हूँ कौन?!

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