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थाम लिया अश्वमेधी घोड़े को

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लोकतंत्र में किसी का एकाधिकार घातक होता है .राजसत्ता के सूत्रधार को यह बराबर समझते रहना होगा कि मैं ही सबकुछ नहीं हूँ -यह मैं मैं मैं…. याद दिलाता है कि व्यक्ति ‘ अहम् ब्रह्मास्मि ‘. यह सोचने लगता योग्य से योग्य व्यक्ति भी जब विनम्रता के घेरे से बाहर अपने को रखने लगता है और अपनी पूरी टीम को केवल अपना प्रयास मानकर साथियों को भी नज़र अंदाज करने लगता है तो उसको एकबार बहुत बड़ा धक्का लगता है .राजसत्ता या प्रभुसत्ता वस्तुतः लोकसत्ता है यह भूल जाने पर लोकसत्ता यह याद दिलाती है कि लोक -शक्ति को अपने में ही सारी शक्ति को नियंत्रित समझाना एक भयंकर भूल होती है . केजरीवाल ने इसको प्रमाणित कर दिया . लहर किसी एक के नाम पर नहीं टिकता है और भूल को सुधारने का मौका तथा भूल केलिए क्षमा भी लोक सत्ता द्वारा ही हो सकता है. लोक सत्ता अर्थात सभी लोगों का शक्ति से निकला शक्ति युक्त सत्ता. यह इतनी शक्तिशाली होता है की सारी शक्तिया अलग -अलग बहुत कमज़ोर पर जाती है.
धर्मिक ग्रंथों में उल्लेखित है की सर्वशक्तिमान मान दुर्गा भी सभी देवताओं की शक्ति ले कर ऐसी शक्तिशालिनी बनी थीं . अतः लोगो की विश्वास से मिली शक्ति एवं सत्ता का सदैव जनहित में उपयोग होना चाहिए.
मैं अत्यंत विनम्रता से अपने प्रिय नेता का नमन करते हुए उन्हें यह सांकेतिक स्मार-पत्र अपने इस प्रिय समाचार -पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करती हूँ .

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