Menu
blogid : 6094 postid : 714671

महिला सशक्तिकरण

My View
My View
  • 227 Posts
  • 398 Comments

केवल आर्थिक निर्भरता से नारी सशक्तिकरण सम्भव नहीं है. अगर केवल आर्थिक निर्भरता से नारी सशक्त हो सकती तो विश्वसुंदरी युक्तामुखी को पुलिस की शरण नहीं लेनी पड़ती जो की स्वयं करोड़ों की मालकिन है.
महिला सशक्त तभी हो सकती है जब की वह सर्वांगीण रूप से आत्म निर्भर हो.अर्थात आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ -साथ शारीरिक निर्भरता, मानसिक आत्म-निर्भरता, शैक्षिक आत्म-निर्भरता इत्यादि . सम्पूर्ण रूप से सर्वांगीण आत्म-निर्भरता की आवश्यकता है. बाल्य-काल से ही महिलाओं के मस्तिष्क में डाला जाता है कि वह कमजोर है,कोमल है, कठिन कार्य बालिकाओं के वश में नहीं होता, इन बातों को बार-बार लड़कियों के दिमाग में डाले जाने से लड़कियां अपने आप को कमजोर समझने लगाती हैं. और फिर सशक्तिकरण से कोसों दूर चली जाती हैं.
सशक्त नारी के कुछ उदाहरण के रूप में हम किरण बेदी को ले सकते हैं. जो केवल आर्थिक आत्म-निर्भर ही नहीं हैं बल्कि वो समग्र रूप से आत्म-निर्भर हैं. अतः नारी सशक्तिकरण सर्वांगीण आत्म-निर्भरता से ही सम्भव है.
सशक्तिकरण शक्ति से सम्भव होता है. शक्ति अर्थात आर्थिक शक्ति , मानसिक शक्ति, शारीरिक शक्ति , इच्छा शक्ति इत्यादि सारी शक्तियों पर विजय पाने पर ही कोई भी सशक्त हो सकता है. मान दुर्गा कि तरह जब महिलाएं पापियों को दंड देने की शक्ति अर्जित करेंगी तो स्वतः ही महिलाएं सशक्त हो जाएँगी . आज असंख्य महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होते हुए भी विविध रूप से अशक्त हैं. परिणामतः पीड़िता हो जाती हैं. यहीं अगर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के साथ -साथ शारीरिक रूप से सशक्त हों तो निश्चित रूप से पापियों को पाप करने का अवसर ही नहीं मिलेगा. फिर भी अगर कुछ हुआ तो सशक्त महिलाएं उन्हें तत्क्षण ही दण्डित कर सकती हैं न कि तथाकथित अबला नारी की तरह व्यथित हो कर घुट-घुट कर मरेंगी.
रानी लक्ष्मी बाई का उदाहरण लें – उन्हें बाल्यावस्था से राजनीति, रणनीति एवं शास्त्र विद्या सिखाया गया था परिणामतः किस तरह वे सशक्त नारी के रूप में उभरी थीं यह हम सभी को पता है.
दूसरी ओऱ माँ सीता आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होते हुए भी रावण द्वारा हरण कर ली गयीं थीं क्योंकि वह सर्वांगीण रूप से सशक्त नहीं थीं. राम और लक्ष्मण पर निर्भर थीं.
श्रीमती इंदिरा गांधी कितनी शक्तिशाली थीं मात्र आर्थिक निर्भरता के कारण नहीं , मानसिक रूप से सशक्त होने के कारण.
कल्पना चावला , सुनीता विलियम्स , इंदिरा नुई, किरण मजूमदार शॉ, सावित्री जिंदल,अमृता प्रीतम आदि बहुत सारी महिलाएं विख्यात हैं क्योंकि वे सर्वागीण सशक्ति कारण की द्योतक हैं. अपनी क्षमता के कारण एक दौर ऐसा भी था जब भारत के महत्वपूर्ण पद पर महिलाएं सुशोभित थी. यथा राष्ट्रपति महिला , पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री महिला , ,यू पी ए, सरकार की अध्यक्षा महिला , ये सभी महिलाएं अपनी क्षमता के कारण देश को गौरवान्वित करती रहीं हैं. कोई भी क्षेत्र हो महिलाएं सर्वत्र अपना परचम लहर रहीं हैं अपनी मज़बूत इरादों से क्योंकि वे सशक्त हैं.
सर्वत्र यह प्रमाणित किया है कि वे मिसाल हैं सशक्त हैं, कर्मठ हैं. परन्तु यह ताकत उन्हें केवल आर्थिक निर्भरता के वज़ह से नहीं मिली है वरन सर्वांगीण सशक्तिकरण के माध्यम से वे इस शिखर पर पहुँच पायीं हैं.
अतः अगर महिलाओं को केवल ‘महिला दिवस’ मना लेने भर से संतुष्टि मिले तो शायद यह बेमानी होगा. हमें महिलाओं को सशक्त बनाने की ज़रुरत है. मैं तो यह भी प्रस्ताव देना चाहूंगी कि महिला दिवस में ‘महिला सशक्तिकरण दिवस’ मनाया जाना चाहिए.

Read Comments

    Post a comment