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आखिर! सरकार क्या करे

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आज देश मंगल ग्रह पर जाने की तैयारी कर रहा है. देश के कतिपय नागरिकों ने चाँद पर जमीन खरीदी है. आज हमारा देश विश्वविख्यात है , सुपर पॉवर के दौड़ में शामिल है. आज हमारे देश का स्थान सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विख्यात है. हमारे देश की तरक्की को देखकर विश्व के मानव स्तब्ध है. हमारे देश की प्रगति से चकाचौंध हैं संसार.अमेरिका के नेता हों या चीनी नेता हों अर्थात सम्पूर्ण विश्व हमारे देश की ओर आश्चर्य से टक-टकी लगाये देखते हैं कि यह जादू कैसे हुआ?
यह जादू नहीं है. हमारे देश की जनता की कर्मठता है. अथक परिश्रम का प्रतिफल है. सरकार की सूझ-बूझ के कारण ही आज हम इतनी प्रगति कर रहे हैं. फिर भी सरकार की निंदा ही होती रहती है. आखिर! सरकार क्या करे? शहर हो या गांव सभी विकासोन्मुख है. यदि हम पिछला इतिहास देखें तो ज्ञात होता है कि हमारे देश में कितनी प्रगति हुई है. गगनचुम्बी इमारतें देश की शोभा में वृद्धि कर रही है.
असंख्य कल कारखाने से देश की महत्ता बढाती जा रही है. एक से एक बढ़कर वैज्ञानिक ने देश को मान दिलाया है. खाद्य सुरक्षा बिल भी तो इसकी कड़ी ही है. यह सरकार की ही तो देन है.
२० वर्ष पहले की ओर देखें तो विद्यालय के आभाव के कारण बच्चे को बाहर पढ़ने हेतु जाना पड़ता था. आज अनगिनत विद्यालय होने से बच्चों को बाहर नहीं जाना पड़ता है.
अपने देश में अपनों के मध्य रहकर अध्ययन तल्लीन हो कर करते है. यह उन्नति नहीं है तो क्या है?
महाविद्यालय ,विश्वविद्यालय के खुलने से छात्र लाभान्वित हो रहे हैं. यही तो प्रगति है. इंजीनियरिंग कालेज आज देश के हर कोने में खुले हैं. लाखों की तादाद में हैं. यह सरकार की उपलब्धि नहीं तो क्या है?
मेडिकल कालेज के खुलने से हमारे बच्चे डाक्टर बनकर देश की सेवा कर रहे हैं न की पहले की तरह दो-एक होने से विदेश जाना पड़ता था. अर्थात शिक्षण संसथान की संख्या बढ़ने से देश की प्रगति तो हुई ही है.
आज उपकरणों की अधिकता होने से आज हर घर में ए. सी. ,कूलर , वाशिंग मशीन ,फोन , टी.वी. इत्यादि होने से हम सुखोपभोग कर रहे हैं.यह उपलब्धि ही तो है देश की.
प्राचीन इतिहास देखें तो याता-यात की कितनी असुविधा थी . आज याता-यात की कितनी सुविधा है. सड़कें की असुविधा होने से कितनी तकलीफ होती होगी लेकिन आज देश में हर स्थान पर सडकों को बनाने से सुविधा बढ़ गयी है. यमुना एक्सप्रेस की तरह सड़के हर स्थान में होने की सम्भावना है, यह प्रगति नहीं तो क्या है?
आखिर सरकार करे तो क्या करे . पहले जिस पद पर ४०० तनख्वाह मिलती थी आज ४०,००० मिलती है. १००० वाले १०००० प्राप्त करते हैं अर्थात जब इतनी आमदनी बढ़ी है तो महंगाई भी बढ़ेगी ही.
यदि हमारी लाखों की सैलरी बढ़ी है तो सामग्रियां भी तो महँगी होगी ही. हम सामग्रियों का भाव पुरातन से करना मूर्खता ही तो है.
हर घर में आज कार है. सबके पास अपना घर है. यह प्रगति ही तो है.
देश प्रगति कर रहा है, लेकिन हम असंतुष्ट हैं . हमें जीवन का आनंद उठाना नहीं आता मात्र सरकार पर आरोप मढ़ना आता है. एक दूसरे पर नहीं तो सरकार पर.
समय -समय पर देश आतंकवाद से भी जूझता रहता है सरकार इसका भी समाधान अत्यंत धैर्यता के साथ दूर कर अमन प्रदान करते हैं यदा -कदा सीमा पर भी अशांति फैलाने के प्रयत्न को समूल नष्ट करना पड़ता है
मेरी दृष्टि में कोई भी दल का सरकार हो त्रुटिहीन होना कठिन है देश के किसी भी पद चाहे प्रधान मंत्री का हो या मुख्यमंत्री कोई मंत्री या सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति यथासम्भव जनता को प्रसन्न करने का तथा बाधाओं को दूर करने का प्रयत्न , देश को सफलता के सोपान पर पहुँचाने का हरसंभव प्रयास करते ही हैं ” होम करते भी हाथ जलते हैं ” यह कथन सत्य प्रतीत होता है सरकार के लिए.
आखिर सरकार क्या करे?

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