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दिन भर के श्रम से क्लांत शरीर मानव जब अपने घोंसला में आता है तो अपनी मानसिक क्षुधा को शांत करने के लिए यह जागरण ब्लॉग खोलकर विद्वानों,विचारकों के विचार को पढता है तथा कुछ अपने मंतव्य भी रखता है. मेरा आशय यह है कि यह हमारे जीवन में उत्साह बढाकर नवजीवन का संचार करता है.
यह नायाब उपहार सदृश हिंदी ब्लोगिंग हिंदी को मान तो दिलाएगी ही अपितु अपने प्रकाश से प्रकाशित भी करेगी. यह बाज़ार का ही नहीं सम्पूर्ण भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगी.
यह हिंदी को अवश्य ही मान दिलाएगी.वरदान सदृश है यह.ब्लोगिंग की आज उसी प्रकार आवश्यकता हो गई है, जिस प्रकार अन्धकार में दीपक की. यह नयी दिशा नयी पहचान दिलाएगी. इसका अभिनन्दन हम देश वासियों को करना चाहिए. यह एक ऐसा माध्यम है जिससे हम स्वतः जुड़ रहे हैं. हमें सभी धर्म से जोड़ रहा है यह, एक दूसरे की भावना, भाषा सिखाने की कला , हिंदी लेखन के प्रति जुनून तथा आदर करना सिखाता है. हमें ऐसा मंच मिला है जिसके माध्यम से हम हिंदी के द्वारा एक दूसरे की अभिव्यक्ति को समझते हैं. यह ज्ञानवर्धक और मनोरंजन का अनुपम साधन है. यद्यपि हिंदी भाषा में अति प्रचुर साहित्य उपलब्ध है तथापि हम व्यक्त करने में असमर्थ थे लेकिन इसके माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं एवं होते रहेंगे. जन समुदाय का ऐसा मंच है जिससे हम अपनी दबी हुई इच्छा को हिंदी के माध्यम से व्यक्त कर रहे है.
ब्लोगिंग प्रेरणाश्रोत है जिससे हम समय का सदुपयोग करने के साथ उदास मान का रंजन कर सकते हैं. अपनी उपयोगिता के साथ बाज़ार का हिस्सा भी बनेगी साथ में व्यापकता भी बढ़ाएगी. यह ऐसा क्षेत्र है जहाँ विद्वान, लेखक, कवि आदि अपने ज्ञान से हमें लाभान्वित करते हैं.जीवन और समाज में आयी जटिलताओं को दूर कर नव-युग का संचार करेगी. यह वह सशक्त माध्यम है जिसमे हम सुनहरे भविष्य का निर्माण अदम्य उत्साह के साथ हिंदी में लेखन कर सकते हैं.
ब्लोगिंग हिंदी को मान ही नहीं दिलाएगी वरन आत्मिक विकास कर समाज को एक अनूठे हिंदी रस का आस्वादन करा कर बाज़ार का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगी.
हिंदी के सहज प्रचार-प्रसार का बहुत बड़ा आधार है ब्लोगिंग. ब्लोगिंग के माध्यम से हिंदी साहित्य के प्रति अध्ययन करने की प्रवृति एवं रूचि में बढ़ोतरी हुई है.इस तरह हिंदी भाषा के प्रति प्रेम बढ़ने में ब्लोगिंग का बहुत बड़ा योगदान है. अनुभूति और अभिव्यक्ति ही हिंदी ब्लोगिंग की मुख्य सम्पदा है. यह अनुभूति की रसमयता , अभिव्यक्ति की रमणीयता , कल्पना , आशा एवं विश्वास , सीखने की उत्कंठा, हिंदी के प्रति समर्पण , इच्छाओं का भव्य वितान खड़ा करती हुई प्रतीत होती है. यह हिंदी साहित्य का अनिवार्य उपादान है. अतः निश्चितरूपेण और भी मान तथा प्रतिष्ठा दिलाने के साथ जन-जन को हिंदी के प्रति ललक ,उत्कंठा जगाएगी. लोगों को अलग ही आनंद रस से सराबोर करके वर्तमान के साथ भविष्य में भी मान दिलाती रहेगी .यह बाज़ार का हिस्सा तो बनेगी ही अपने आलोक से युग-युगांतर तक आलोकित करती रहेगी .
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