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उपवन – ७ अभिशप्त बाला.

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यह कथा भी उपवन से ही जुडी हुई है. मेरी बड़ी माँ (दादी) मुझे लेकर अपना गाँव का खेत दिखाने ले गई थी. उपवन या वाटिका सदृश ही स्थान था. उसको कोइठ कहते हैं. दूर -दूर तक फैली खेत.हरियाली ही हरियाली. ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो प्रकृति ने हरी चादर ओढ़ ली हो. असंख्य बृक्ष दृश्य को और भी मनोरम बना रहा था.कुछ पके रसीले आमों से लदे पेड़ ऐसा दृश्य प्रस्तुत कर रहा था मानों वसंत ऋतू में बालाएं हरे पीले कपड़ो में लिपटे एक साथ विचरण कर रही हों. साथ ही कोयल की मधुर कू-कू और समीप में ही कल-कल बहती नदी संगीतमयी वातावरण का सृजन कर रही थी. बहती नदी चार चाँद लगा रही थी वहां के वातावरण में.. इस नदी को यहाँ के स्थानीय बोली में रजवा धार कहा जाता है . इस नदी की वह कथा जो बड़ी माँ के मुख से सुनी हुई है वह मैं यहाँ उदृत करना चाहती हूँ.
कथा है की हमारे पूर्वज की जमींदारी कुछेक गाँव की थी और एक बार जमींदारी के कार्य वश वे इस गाँव में आये थे. गाँव के कुछ लोग उन्हें इसी गाँव में बसाना चाहते थे सो उन्हों ने जमींदार साहब से कहा की इस रजवा धार में पलने वाली मछलियाँ भी बुलाकी (नाक में पहने जाने वाले एक आभूषण) पहनी होती है. जमींदार साहब ताव में आ गए और कह डाला की अगर यह सच साबित हो गया तो मैं यहीं की लड़की से शादी कर इसी गाँव में बस जाऊँगा.
गाँव वालों ने एक मछली के नाक में बुलाकी पहनाकर धार में डाल रखा था. सो जब साबित करने की बात आई तो वही मछली निकल कर उन्हें दिखा दिया गया. और इस तरह जमींदार साहब इस गाँव की एक ख़ूबसूरत लड़की से शादी कर इसी गाँव में बस गए.
दादी से बहुत जिद्द करने पर दादी ने मुझे एक सच्ची कहानी सुनाया.
कुछ दिन पहले धर्मशाला में एक नव -विवाहित दम्पति ठहरे थे. मेरी दादी के अनुसार पत्नी अत्यंत ख़ूबसूरत थी . गौरवर्ण ; बड़ी बड़ी आंखे भोला भाला चेहरा. लम्बी पतली अर्थात बहुत सुन्दर . आवाज कोयल की तरह मीठी .अप्सरा सी सुन्दर . मेरी बड़ी माँ से अच्छी जान पहचान हो गयी थी . पति पत्नी की जोड़ी बहुत सुन्दर थी घूमने जब निकलते थे सब उन दोनों की जोड़ी को बहुत पसंद करते थे दो चार दिनों में ही सभी उस सुंदरी के मधुर व्यवहार से मुग्ध हो गए थे कुछ दिनों तक जब लोगो ने उन्हें नहीं देखा तो सबने सोचा कि दोनों चले गए अचानक बदबू ने सबका ध्यान धर्मशाला की ओर गया जब ताला तोडा गया तो सबके मुख से उस हृदयविदारक दृश्य को देखर चीख निकल गयी . उस रमणीया का इतना भयानक अंत . तलाश करने पर जब उसका पति मिला . तो उस हत्यारे की कहानी लोगो को अजीब लगा .उसके अनुसार उसकी पत्नी जितनी खूबसूरत थी उतनी ही चरित्रहीन थी किसी ने उस हत्यारे की बात पर विश्वास नहीं किया .पर सच्चाई जानना चाहते थे . कुछ दिनों बाद एक आदमी से जब सभी को सत्यता का पता चला तो सभी दंग रह गए. वह अभिशप्त बाला थी. जन्म के समय ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई. चाची के द्वारा उसका पालन -पोषण हुआ. चाची उसे बहुत प्यार करती थी . समयानुसार बड़ी होने पर उसकी शादी तय कर दी गई. विवाह के दिन ही जिस लड़के से उसकी शादी होनेवाली थी दहेज़ के कारण लड़के के पिता ने शादी से इंकार कर दिया.जल्दी – जल्दी में उसकी शादी उस आदमी से कर दी गई. सुन्दर रूप को देखकर उसका पति उसे बहुत प्यार करता था,. कुछ दिन तक प्रसन्नता पूर्वक समय व्यतीत हुआ. एक दिन उसके पति को आफिस के काम से शहर जाना था. सबने लता यानि उसकी पत्नी को भी साथ ले जाने को कहा. लता तैयार भी हो गई. उसकी इच्छा थी की चाची से मायके में मिलते जाएँ. दोनों वहाँ चले गए. किसीने उसके शादी टूटने की बात उसके पति को बता दिया और साथ में यह झूठ भी जोड़ दी की उस लड़के से लता को प्यार था. इर्ष्या से वह दग्ध हो उठा. इर्ष्या के कारण शक रुपी कीड़े उसके दिमाग में कुलबुलाने लगी. इसी वजह से इतना नाटकीय रूप से उसने अपनी पत्नी को ज़हर दे कर मार दिया.
इस दर्दनाक घटना से सभी व्यथित हो गए.
शादी व्याह में कभी भी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए . जल्द बाजी से बेटी कुपात्र के हाथ में जा सकती है. बेटी से ही संसार है.

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