- 227 Posts
- 398 Comments
लालूजी ने गरीब रथ नाम से ट्रेन चलाया जो गरीबों के लिए था. ‘गरीबी’ की परिभाषा सरकार बदलने के साथ बदलती रहती है. लालूजी जब रेल मंत्री थे तब शायद तत्कालीन सरकार की परिभाषा के अनुसार इस ट्रेन को गरीबों के लिए समर्पित किया होगा!
दो-तीन बार हमने भी इस गरीब रथ में यात्रा की. यात्रा के दौरान मुझे गरीबों की परिभाषा के अंतर्गत छुपी हुई कुछ बातें अनुभव करने का मौका मिला.
गरीबों को ठण्ड नहीं लगती!(शायद ! ) इसी लिए इस गरीब रथ में अगर धोखे से कोई अमीर बैठ गया हो तो वो अदद मुद्रा देकर कम्बल तथा बेड रोल भाड़े पर ले सकता है. गरीब सफाई को पसंद नहीं करते (शायद!) अतः इस ट्रेन में मुंबई से लेकर दिल्ली तक कहीं भी कोई सफाई नहीं की जाती है. जबकि मेरी दृष्टि में तो गरीब लोग बहुत ही सफाई से रहते हैं. वे अर्थाभाव या मजबूरी में दूसरे द्वारा फैलाई गई गंदगी साफ़ करते हैं तो खुद की क्यों नहीं? गरीब रथ के यात्रियों को शौच के बाद हाथ धोने के लिए साबुन मुहैया नहीं होता. तभी तो पेपर शॉप बेचने कोई और गरीब इस ट्रेन में घूमते नज़र आते हैं.
सरकार ने ट्रेन किराया बढाया , काफी दिनों बाद बढाया , सही है. लेकिन इस के साथ साथ मूलभूत आवश्यक आवश्यकताओं की उचित व्यबस्था अपेक्षित है. गरीब रथ ही नहीं बल्कि सभी ट्रेनों में यात्रियों को असुविधा न हो इसका ध्यान रखना चाहिए. साथ साथ यात्रियों का भी कर्तव्य बनता है कि ट्रेनों में गंदगी न फैलाएं और अपने घर की तरह यहाँ भी साफ -सफाई का ध्यान रखें. तभी ट्रेन यात्रा सुखद एवं आनंददायक हो सकता है.
Read Comments