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विश्वबंधुत्व का पाठ पढ़ाता है फेसबुक
अपनों से मिलाकर नवजीवन देता है,
बिछड़े हुए मित्रों से जोड़ता है,
नई-नई उम्मीदों को जगाता है
चलचित्र की तरह अपनों की तस्वीर दिखाता है फेसबुक.
अपनों को दिखाकर तृप्ति देता है
अमृत तत्व देकर अपार संतोष देता है
नयी-नयी कथाओं से अवगत कराता है
महान बिचारों को दिखाता है फेसबुक.
राष्ट्र को एक सूत्र में बांधता है
वसुधैवकुटुम्बकम की राह पर चलाता है
कुछ लोगों के दुरूपयोग करने पर भी
लाजबाब है फेसबुक.
डा.रजनीदुर्गेश.
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