Menu
blogid : 6094 postid : 101

डेंगू -सरकार की ही नहीं हमारी भी जिम्मेवारी .

My View
My View
  • 227 Posts
  • 398 Comments

डेंगू रूपी महा बीमारी महामारी की रूप में फैली हुई है. कुछ दिनों से हर साल की तरह हर क्षेत्र में मच्छरों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. भारत के अधिकांश क्षेत्र में डेंगू फैली हुई है. हजारों की संख्या में लोग बीमार हैं.
महान निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा का निधन डेंगू जैसे भयानक बीमारी के कारण ही हुई है. देश ने इस भीषण बीमारी के कारण महान निर्माता – निर्देशक खो दिया है. कितने लोग असमय इस बीमारी के कारण असमय कल के ग्रास बनते जा रहे हैं.
डेंगू एक जानलेवा बीमारी है. एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से यह जानलेवा बीमारी होती है. इस रोग में तेज बुखार के साथ शारीर के उभरे चकत्तों से खून रिसता है. इस रोग का कारण विषाणुयुक्त मच्छरों द्वारा मानव शरीर में विषाणु पहुँचाना है.
सरकार क्यों नहीं ध्यान दे रही है? पता नहीं इस भयानक बीमारी को दूर करने का प्रयत्न क्यों नहीं कर रही है? क्यों नहीं दवा का छिडकाव करवा रही है? मच्छरों पर नियंत्रण करने का प्रयत्न कब करेगी?
ये सारे प्रश्न हम अपने हाथ पर हाथ रख कर यों ही कर देतें हैं. लेकिन क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए की सरकार अकेले कुछ भी नहीं कर सकती है. प्रभावी तरीके से रोकथाम करने के लिए मच्छरों की संख्या पर रोक लगाना या इस हेतु लार्वा पर नियंत्रण करना होता है, साथ ही साथ वयस्क मच्छरों की रोकथाम करने के लिए कीटनाशक धुओं किसी सीमा तक प्रभावी हो सकते हैं. नए तरीके का भी उपयोग सरकार करवा सकती है. मेसोसक्लोपस नामक जलीय कीट जो लार्वा भक्षी है को रुके जल में डलवा देना चाहिए जैसे गम्बूशिया मछली मलेरिया के विरूद्ध उपाय है. यह अत्यंत सस्ता तथा पर्यावरण मित्र विधि है.
सामुदायिक भागीदारी सक्रीय रूप से अनिवार्य है. सरकार को नदी,नालियों ,पार्कों आदि की स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए. पता नहीं सरकार के साथ साथ हम सभी क्यों सो रहे हैं. सफाई करना तो दूर बल्कि हम गंदगी फैलाते हैं और सरकार पर दोष मढ़ते है !
विजयदशमी के पूजा पिछले हफ्ते हम सभी ने की. बहुत सारे फूल मालाओं का, वेल्पत्रों, दुर्वादलों इत्यादि का प्रयोग किया और आठ दिनों तक घरों में सड़ाते रहे. और आज उन्हें विसर्जित करने हेतु पुरानी परम्पराओं का दुहाई देते हुए नदियों में बिसर्जित कर क्या हमने नदियों को मैला नहीं कर दिया ? मैला हम फैलाएं और साफ़ न करने हेतु सरकार को दोषी मानते हुए कुढ़ते रहें !! आज सुबह हमने हिंडोन नदी का गन्दगी के अस्तर को बढ़ाने में उन सभी लोगों का योगदान देखा जो मर्सिडीज, टोयोटा , निसान और न जाने किस किस गाड़ियों में बैठ कर आये थे. नाक पर रुमाल रख कर निर्माल बिसर्जन करते हुए बहुत सारे तथाकथित उच्चस्तरीय भद्र लोग ऐसे लग रहे थे जैसे उन्हें जल प्रदूषण के सम्बन्ध में कुछ पता ही न हो. पर क्या इन चहेरों में कुछ चहरे वे भी दिख रहे थे जो पिछली “पर्यावरण दिवस” पर बिभिन्न सभाओं में प्रमुख वक्ता थे. वाह, हाथी के दोनों दांत दिखाई दे रहा था.
सरकार के साथ साथ हमें भी इस भयानक बीमारियों को दूर करने के लिए ध्यान देना चाहिए. इसके लिए अपने आस-पास का वातावरण स्वच्छ रखना चाहिए. इस खतरनाक बीमारी से निजात पाने के लिए गमले , गुलदस्ते , बोतलें आदि की नियमित सफाई करनी चाहिए. मच्छरों की दवाइयां, मच्छरदानी लगाकर सोना तथा शरीर को ढककर रखना एवं मच्छरनाशक दवाइयां जैसे आल-आउट, कछुवा छाप इत्यादि का उपयोग करना और प्रभावित क्षेत्र से अपना बचाव करना चाहिए.
हमें अपनी देखभाल स्वयं करनी चाहिए . मात्र सरकार पर ही भरोसा न कर अपने आप भी कारगर उपाय अपनाना चाहिए जिससे इस भयानक बीमारी को दूर भगाकर अपना, अपने परिवार तथा समाज की सुरक्षा करनी चाहिये.

Read Comments

    Post a comment