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हर उस माँ को यह समर्पित है जो अपने बेटे से दूर रहती हैं.
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मन विकल है तेरे बिना
न दिलमें चैन है
न मन में उल्लास है
मन बिकल है तेरे बिना
न जीने की चाह है
न तन-मन की सुध है
बस बेटे तेरे कुछ बन निकलने की तम्मना है
पतवार की तरह नैया के खेवैया हो
मेरे उम्मीद के गीतों के गवैया हो
सुबह तुम्हारी याद से शुरू होती है
दोपहर, शाम और रात
हर पल तुम्हारे कुछ बन निकलने की आस में बीतती है.
हर घडी हर पल
दिल व्याकुल है तेरे बिना
न टी.वी., न रेडियो भाती है
न लोगों की नसीहतें
न लोगों से मिलना
बस दिल सदैव रोता है तेरे बिना
हर क्षण तेरे कुछ बनने की आस में
बीतती है
न सांसे रूकती है
न प्राण निकलती है
बेटे, सारा जग लगता है सूना
तेरे बिना
मन विकल है तेरे बिना.
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