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सत्यमेव जयते -आज का सबसे बड़ा क्रन्तिकारी :आमीर खान

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“सत्यमेव जयते” के माध्यम से आमीरजी जो क्रांति फैला रहें हैं, लोगों को जागरूक कर रहें हैं, वो प्रशंसनीय है. अभी तक प्रसारित केवल दो एपिसोडों में जो मुद्दे उन्होंने उठाए वह बहोत ही महत्वपूर्ण था. उनहोंने केवल प्रश्न ही नहीं उठाया बल्कि समाधान का रास्ता भी दिखया. समाधान के लिए लोगों को आपस में समेट कर अपनी तरफ खिंचा, अपने में सामिल किया. लाखों करोड़ों का समर्थन उन्हें मिला.
पहले एपिसोड के बाद राजस्थान के मुख्य मंत्री से मिले और भ्रूण हत्या से सम्बंधित सारे केसों का एक ही कोर्ट में लाने का वायदा भी मुख्य मंत्री से लिया. वास्तव में वे चलचित्र के ही नहीं रियल जिंदगी में भी हीरो हैं. भ्रूण हत्या के बिरोध में तो कुछ तथ्य सुनाने में भी आता था, सरकार भी समय-समय पर आगाह करती थी लेकिन चाइल्ड एबुय्ज समाज में कोढ़ की तरह है. अपने ही अपनेको लूटते हैं. हम अपने बच्चों को अपनों के पास ही छोड़ते हैं और सोचते हैं की बच्चे सुरक्षित रहेंगे लेकिन बच्चे अपनों के द्वारा ही ठगे जाते हैं. कईयों की तो जीवन लीला ही समाप्त हो जाती है.
रविवार से मेरा मन बहोत ही व्याकुल है.बहोत सारी घटनाएँ याद आ रही है. एक घटना मैं आप लोगों को बताना चाहती हूँ. ये पटना की घटना है. किसी इंजिनियर की छोटी बेटी के साथ उनके पडोसी की बेटी भी पढ़ती थी.उन साहब का परिवार कहीं गया हुआ था और वो घर में अकेले थे उसी समय उनकी बेटी की सहेली अपनी सहेली को खोजने उनके यहाँ पहुंची और इंजिनियर साहब से पूछा., इंजिनियर साहब ने झूट बोला और उसे घर के अन्दर बुला लिया. जैसे ही वह घर के अन्दर आई उस दरिन्दे ने अन्दर से घर के दरवाजे बंद कर लिए और उस छः बरसिया लड़की के साथ अन्याय कर डाला. बहुत खोज बिन के बाद किसी दुसरे पड़ोसे ने बताया की बच्ची तो इंजिनियर साहब के यहाँ गई थी. तब लोगों के दबाब देने पर उस दरिन्दे ने बाथ रूम खोल कर दिखया जहाँ उस बच्ची की लाश पड़ी थी. बाद में पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया. फिर क्या हुआ मुझे पता नहीं.
दूसरी घटना मेरी सहेली के साथ घटी थी. हम नौवीं कक्षा में पढ़ते थे. उस वक्त इसी कक्षा से ऐक्षिक विषय के रूप में इकोनोमिक्स या गृह विज्ञान में एक की चयन करनी होती थी. मेरी दोस्त के दूर के अंकल इकोनोमिक्स के प्रोफ़ेसर थे. मेरी सहेली के पापा ने उन्हें घर बुलाया था परामर्स के लिए. उनसे सलाह लेनी थी की इकोनोमिक्स पढाया जाय या नहीं.उसी समय उसके पापा किसी काम से दूसरे कमरे में चले गए. और उसकी माँ खाना बनाने में व्यस्त थीं.मौके का लाभ उठाते हुए उस अंकल रुपी बददिमाग ने मेरी सहेली से थोड़ी चीनी लेन हेतु कहा. मेरी सहेली किचेन में चीनी लेने गई. माँ से कहा की अंकल को चीनी चाहिए. माँ ने चीनी दी और वह चीनी ले कर अंकल के पास लौटी. अंकल ने कहा अपने हाथों से चीनी खिलादो. जब चीनी खिलाने गई तो उस ने इसको हग कर लिया. मेरी सहेली किसी तरह अपने को छुड़ा कर भागी और माँ से कहा की ये अंकल सही नहीं हैं. माँ को अजीब लगा था की चीनी क्यों मांग रहा है? और जब मेरी सहेली ने बताया तो माँ सब समझ गई. और फिर उस अंकल का मेरी सहेली के यहाँ आना बंद कर दिया गया.
कल जब मैं ये शो देख रही थी तो मुझे एहसास हुआ की मेरी सहेली की माँ समझदार न होती तो क्या होता? इस तरह की घटनाएँ बहुतों के साथ होता है लेकिन शर्म की वजह से कोई बता नहीं पता. काश ये शो पहले होता तो बहुत सारे बच्चे अपनी सुरक्षा कर पाते. लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है. भविष्य में हमारे बच्चे निश्चित रूप से सुरक्षित रहेंगें.
खान साहब का बच्चों को इतनी कठिन बातें वर्क शॉप के माध्यम से समझाना बहुत ही सराहनीय है.
काश ऐसे हीरो हर घर में हो तो समस्या नाम की विलेन गायब हो जायेगा.
उन्हों ने न किसी की आलोचना की, न सरकार का विरोध किया, न अपनी प्रसंसा की बस क्रांति का बिगुल फूंक दिया, न धरना दिया न प्रदर्सन किया न भूख हड़ताल न नारेबाजी बस परिवर्तन का दिशा निर्देश दिया.
तो आप ही बताइए क्या वे सबसे बड़े क्रन्तिकारी नहीं हुए?

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