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हमारी प्यारी बड़ी माँ
हमारे परिवार की तपस्वनी बड़ी माँ
हमारे घर की आधार बड़ी माँ
हर एक कोने में बसी बड़ी माँ
हम सबके दिल में हैं बड़ी माँ
पुरे परिवार की थी
प्यारी बड़ी माँ
पूरे गाँव न्यारी बड़ी माँ
माँ हमारी बड़ी माँ
हमारे परिवार की रानी बड़ी माँ
जीवन को संवारने वाली
बड़ी माँ
सांवली सलोनी मनभावन ज्ञान की भंडार परोपकारिणी पुण्य आत्मा मेरी बड़ी माँ के अतिरिक्त कोई भी नहीं हो सकता था. न खाने का शौक न पहनने का शौक बस शौक था तो दूसरे की सहायता करना. वैसे तो उसके बिषय में लिखने बैठूं तो उसके गुणों को इस पृष्ठ पर लिखना असम्भव है.
एक बार की बात है हमारे गाँव में एक बहूत गरीब विधवा रहती थी. बड़ी माँ सदैव उनकी सहायता कराती थी. कभी कभी घरवालों से छिपाकर भी उन्हें सामान दिया करती थी जिसकी राजदार मैं भी थी. उन्हीं के घर से बहुत सारा बर्तन वापिस आया तो मेरी माँ ने पूछा इतना सारा बर्तन काकी के घर गया कैसे ?मैं भी छोटी थी मुझे हंसी आ गयी .मुझे हँसते देखकर सबको बात समझ में आ गई. सब समझ गए की यह बड़ी मान का ही कम है. ऐसी थी मेरी बड़ी माँ.
एक बार एक अनाथ बच्चे को बाबा घर ले आये. उस बच्चे को बड़ी माँ ने अपने बच्चे की तरह पाला. और बाबा के दोस्त भी यही समझने लगे की यह लड़का इन्हीं दम्पतियों का है. उस बच्चे की परवरिस भी अपने बच्चों के साथ साथ बहुत अछि तरह की.
विदुषी इतनी थी की एम्. ए. पि.एच.डी.(संस्कृत) बाले भी उनसे नजर बचाते थे की कंही बड़ी माँ कोई श्लोक वगेरह पूछ न दे. बंगला भासा की भी जानकर थी वह.
आज हम सब जो कुछ भी हैं , बस उसी के प्यार के वजह से.,
ऐसी ही महान महिला यानि बड़ी माँ पर ये कविता उपयुक्त प्रतीत होती है- माँ तेरी यही कहानी आँचल में है दूध और आँखों में है पानी.
यदि ऐसी त्यागमयी महिला भारत के हर गाँव सहर में हो तो भारत का हर घर स्वर्गामय हो जाएगा. ऐसी महान नारी से हमें यह शिक्षा मिलाती है की मात्र नौकरी करना ही नहीं, हम घर में रह कर भी अपने परिवार तथा जिस गाँव या शहर में रहतें है वहां का वातावरण मनोरम बना सकतें हैं.
शायद हमारे समर्पोँ में ही कोई कमी थी की वह हम सब को छोड़ कर करीब दो महीने पहले वो गोलोकवासनी बन गई.
मुझे विश्वास है की वहां भी अर्थात गोलोक में भी वह परोपकार में ही लिप्त होगी और परोपकार से सबके बड़ी माँ बन कर रहेगी. शायद भगवन भी उसे बड़ी माँ कह कर ही पुकारेंग. !!!!!!
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