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बिहार-सड़क वृतांत

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जुलाई में मैं अपने घर बिहार मुजफ्फरपुर से अपने ससुराल नेपाल जा रही थी.मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी तक की यात्रा सड़क मार्ग से करने मैं वह आनंद आया जो शब्दों में बयां नहीं कर सकते. वह इसलिए क्योंकि सड़क पर गाड़ी ऐसे चल रही थी जैसे की पानी पर चल रहा हो. क्या सड़क बनी है, मन नितीश सरकार के प्रति कृतज्ञ हो उठा, क्या हमारे बिहार का सड़क इतना अच्छा है. वाह! लेकिन जैसे ही सीतामढ़ी से आगे भिठामोर के रास्ते पर चले तो सारा मजा किरकिरा होगया. सारा सड़क टुटा हुआ था (बाढ़ के कारण).पूल तो थाही नहीं. और जो वैकल्पिक मार्ग वना था उधर से बाढ़ की पानी ऐसे चल रही थी की कार निकलना नामुमकिन था. लोग मुश्किल का सामना करते हुए, पीड़ा झेलते हुए ट्रेक्टर से आरपार आ जा रहे थे. और कार बाले को लौटना पर रहा था.
सड़क वनाया तो पूरा करना था. कोई सावधानी का सूचक पट लगाना था. लोगों को उतनी दूर तक बेकार यात्रा तो नहीं करना परता.
यही हालत मुजफ्फरपुर से नेपाल जाने के लिए मोतिहारी मार्ग का भी है. मुजफ्फरपुर से निकलिए तो राजमार्ग मस्त है, लेकिन जैसे ही मोतिहारी से 10 किलोमीटर पहले पहुंचे तो रोना आगया. रास्ता तो था ही नहीं बल्कि गड्ढे मैं रास्ता था. गाड़िया चलती थी या रेंगती थी? किचर, गड्ढा और पानी बस इन्ही का समन्बय था. खैर किसी तरह जैसे तैसे रक्सौल पहुंचे तो तांगे और रिक्से बालो के मनमानी से बचना शायद ज्यदा ही मुश्किल था.
रक्शौल से बीरगंज(नेपाल) पहुँचने में घन्टों लग जाता है.
एक नदी और उसपर बनी एक पूल -यही तो दोनों देश को बांटते हैं. हाँ सड़क की हाल में भी फर्क है. वहां की सड़के सड़क की तरह है न की किचरों का समूह.
मेरे बिचार से सरकार को दूसरे देशों के बोर्डर पर अच्छा सड़क वनाना चाहिये – चीन को देखें.
राजधानी (पटना) के अलावा और भी शहर है बिहार में लेकिन पटना के अलावा और शहरों की सड़कों की हालत दर्दनाक है. मुजफ्फरपुर उत्तर बिहार का एक अति महत्वपूर्ण शहर है. यहाँ के सडकों की हालत इतनी बुरी है की अगर आपकी गाड़ी लो फ्लोर बाली है तो गाड़ी मुज़फ्फरपुर में नहीं चला सकते हैं.
मैं सरकार से आग्रह करुँगी की धीरे धीरे ही सही बिहार में सड़कों की हालत सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाए. इस तरह हम सब बिहारी होने का गर्व कायम रख सकेंगे.

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